बाबा श्री रामदेवजी राजस्थान की धरती वीर पशुता भूमि ही नहीं है यह संतों महंतों की जन्म स्थली के साथ-साथ यहां के कण-कण में लोग देवी-देवताओं का वास देखने को मिलता है
Baba Ramdev ji |
बाबा रामदेव जी जब भी लोग देवी-देवताओं का जन्म कल्याण की बात आती है जनमानस का सिर श्रद्धा से झुक जाता है ऐसे ही 36 कॉम उनकी आस्था के केंद्र संप्रदायिक सद्भाव समरसता का प्रतीक गरीबों के मसीहा चमत्कारी लोक देवता रामसा पीर का नाम पूरे देश में असीम श्रद्धा के साथ लिया जाता है
भारत के विश्व प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव जी "1409 को भाद्रपद शुक्ल दूज के दिन तोमर वंश है तथा रुणिचा के शासक अजमल जी के घर बाड़मेर की शिव तहसील के रामदेरिया काश्मीर उंडू काश्मीर गांव में हुआ उनकी माता का नाम मैणादे था बाबा का संबंध राजवंश से था लेकिन उन्होंने पूरा जीवन से गरीब और पिछड़े लोगों के बीच है उन्होंने छुआछूत का विरोध किया था । उन्हें प्यार से रामापीर या रामसा पीर बाबा को श्रीकृष्ण का अवतार माना गया है।
वे हिंदू मुस्लिम एकता के प्रत्येक भी माने जाते हैं भक्तों का उनके प्रति समर्पण इतना है कि पाकिस्तान से मुस्लिम वक्त भी में नमन करने Bharat आते हैं विद्वानों के अनुसार बाबा का वि.स. 1409 में उंडू कश्मीर में हुआ उन्होंने समाधि रुणिचा में ली थी लेकिन बाबा के भक्तों के लिए इतिहास की स्थिति और से ज्यादा उनकी कृपा महत्वपूर्ण है आज भी यहां के शुभ कार्य बाबा के जल के बिना अधूरे हैं
बाबा की जन्म स्थली रामदेरिया काश्मीर में जन्म स्थान पर करीबन 20 करोड़ से अधिक लागत का भव्य मंदिर बना है यहां पर बाबा के जन्म के समय साक्षी रहे हाथी वाली खेजड़ी आज भी खड़ी है शुरुआत में यहां की स्थानीय लोग बाबा को बाजरी के सूरमा वह गाय का दूध की प्रसादी करते थे खेजड़ी व चरण पादुका को नमन और स्पर्श करने से बाबा का आशीर्वाद मिलता है गांव में ही रामदेरिया नाडिया तालाब प्रसिद्ध है इस तालाब में बाबा दलित बच्चों के साथ खेल कर भेदभाव मिटाने का संदेश दिया था इसी तालाब की पाल से खेलते हुए बाबा ने गेंद को पोकरण तक चेक दिया बाद में गेम लेने का बहाना करके
भैरव राक्षस राक्षस को मारने के लिए बाबा पोकरण गए और भैरव राक्षस का अंत कर मानव रहित हुए पोखरण को बचाकर गांव वालों को राहत प्रदान की रामदेरिया गांव में गार्डन के नाम से प्रसिद्ध है यहां पर जब रामदेव जी के पूर्वज अजमल जी महाराज अपने कार्य के साथ ऊंट घोड़े गधे के साथ आए थे और सबसे पहले इसी साल पर खराब किया था इसीलिए इस स्थान का नाम भी नाडुठल दौरा के नाम से जग प्रसिद्ध है उनकी याद में आज भी धार्मिक कार्यक्रम यहां होते हैं साथ ही यहां पर हजारों भक्तों का रेला रहता है
द्वारकाधीश भजन रामदेव जी का "इतिहास साक्षी है कि जब जब भी इस धरती पर शक्तियों का बोलबाला हुआ है धरती पर अत्याचार अनाचार और दुराचार पाप बढ़ा है। परमात्मा ने तब जब सिर और परम की रक्षा हेतु विभिन्न रूपों में अवतार लिया है और आसुरी वित्तीय शक्तियों का खात्मा किया है लोक देवता बाबा रामदेव जी का "भी ऐसे ही समय में हुआ था