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स्थानीय लोगों ने बताया- CDS रावत के हैलिकॉप्टर का रूट डायवर्ट

 स्थानीय लोगों ने बताया- CDS रावत के हैलिकॉप्टर का रूट डायवर्ट था, वैसे गांव से 500 मीटर पहले ही मुड़ जाते हैं चॉपर


तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नंजप्पा चथिराम गांव में अभी सिक्योरिटी फोर्सेज और मीडिया की भीड़ लगी हुई है। सबकी आखें नम हैं, जेहन में कई सवाल कौंध रहे हैं। यही वह गांव है, जहां CDS जनरल बिपिन रावत और उनकी टीम का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, एक झटके में 13 लोगों की जान चली गई।


करीब 40-50 साल पहले बसे इस गांव के लोगों का कहना है कि पास ही हेलिकॉप्टर का रूट जरूर है, लेकिन वो करीब 500 मीटर पहले ही बदल जाता है। यानी हेलिकॉप्टर कभी गांव के एकदम ऊपर से नहीं जाता; बल्कि थोड़ा साइड से गुजरता है, लेकिन बुधवार को हेलिकॉप्टर 500 मीटर पहले नहीं मुड़ा, बल्कि एकदम गांव के ऊपर ही आ रहा था। जहां हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, वहां से चंद कदमों की दूरी पर ही ग्रामीणों के घर शुरू हो जाते हैं, यानी अगर कुछ कदम भी आगे यह हादसा होता तो गांव भी चपेट में आ जाता। हेलिकॉप्टर का बहुत नीचे से गुजरना भी गांव के लोगों को हैरत में डाल रहा है।


जहां CDS का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है वहां अभी भी लोगों की काफी भीड़ है। मीडियाकर्मी और सुरक्षाकर्मी मुस्तैद हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया- CDS रावत के हैलिकॉप्टर का रूट डायवर्ट


नंजप्पा चथिराम में रहने वाले कन्नन बिरान कहते हैं, हमारे गांव से सालों से सेना के हेलिकॉप्टर गुजर रहे हैं, लेकिन उनकी ऊंचाई काफी होती है और वे गांव के एकदम ऊपर से नहीं जाते। ये पहली बार हुआ कि कोई हेलिकॉप्टर इतनी कम ऊंचाई से गुजर रहा था कि वो पेड़ से ही टकरा गया। हेलिकॉप्टर के टकराते ही इतनी तेज आवाज हुई जैसे कोई ब्लास्ट हुआ हो।


गांव के ही शिवकुमार और कृष्णा स्वामी सबसे पहले क्रैश साइट पर पहुंचे थे। कृष्णा स्वामी ने बताया, 'मेरे पास फोन नहीं है इसलिए मैंने अपने साथी चंद्रकुमार को फोन करने का बोला, उसने तुरंत पुलिस को फोन लगाया और 15 मिनट के अंदर ही पुलिस और फायर सर्विस वाले लोग आ गए थे। इनके बाद आर्मी वाले आए।'


कंगन और ईयर रिंग्स से पता चला ये कोई महिला हैं


इसी गांव के शिवकुमार सबसे पहले साइट पर पहुंचे थे। उनके मुताबिक रावत और पायलट का चेहरा विजिबल था, लेकिन उनकी बॉडी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी।


CDS और उनकी पत्नी मधुलिका की बॉडी उठाने वाले शिवकुमार ने बताया कि, CDS आखिरी समय में पानी मांग रहे थे। उनके हाथ मुड़े हुए थे। आर्मी को साइट पर आने में करीब 20 मिनट लगे। हमें बॉडी को निकालना था इसलिए पेड़ काटना पड़ा, क्योंकि बॉडी पेड़ों के बीच फंस गई थीं। CDS की पत्नी मधुलिका रावत के ईयर रिंग्स और कंगन दिख रहे थे। इससे पता चल रहा था कि ये कोई महिला की बॉडी है। उनकी बाकी का हिस्सा तो पूरा जल चुका था। जनरल रावत और पायलट का चेहरा विजिबल था, लेकिन उनकी बॉडी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी।


इसी गांव में रहने वाले किसान मोहम्मद कासिम सेठ कहते हैं, 'मैं थोड़ा दूर था मुझे मजदूरों ने आवाज देकर बुलाया। हमने जंगल के बीच लोगों को ढृंढना शुरू किया। 3 लोग ही दिख सके। एक आदमी को तो मैंने जलते हुए देखा। जब मैं पहुंचा तब 3 लोग जिंदा थे। ट्रैफिक जाम के चलते फायर रेस्क्यू की टीम को भी आने में देर हो गई थी। जब तक वे आए, तब तक सब जल चुके थे।'


5-7 किमी इधर-उधर होना मामूली बात


यह गांव पहाड़ी पर बसा है। इसके ठीक पीछे खाई है। लोगों के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर चंद कदम आगे क्रैश होता तो गांव भी चपेट में आ जाता।


इंडियन एयरफोर्स में रहे और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेटर नासिर हनफी कहते हैं, ‘मैंने इस घाटी में काफी फ्लाइंग की है। यह काफी संकरी घाटी है। इसलिए इसमें रास्ता भटकने का कोई सवाल नहीं उठता। जिस हेलिकॉप्टर में जनरल जा रहे थे, वो बहुत ज्यादा मॉडर्न और अपग्रेडेड है। इसमें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है और हेलिकॉप्टर अगर 5 से 7 किमी इधर-उधर हो भी जाता है तब भी बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। विजिबिलिटी भी यदि बहुत कम होती है तो पायलट के पास ढेरों ऑप्शन होते हैं। वे आगे न बढ़ने का भी निर्णय ले सकते हैं। ऐसे में क्रैश होने की असल सच्चाई एफडीआर रिपोर्ट से ही सामने आने की उम्मीद है।’


IAF ने गांव के लोगों को कंबल और बाल्टी दिए, बोले आपने हमारी मदद की


गांव के लोगों ने बताया कि एअर फोर्स के अधिकारियों ने हमारी मदद की है और हमें कंबल प्रोवाइड किए हैं।


इंडियन एयरफोर्स (AI) की तरफ से शुक्रवार को नंजप्पा चथिराम के लोगों को कंबल, बाल्टी बांटे गए। मौके पर मौजूद एयरफोर्स के अधिकारियों ने बताया कि, हादसे के वक्त इन गांव वालों ने बहुत मदद की। पानी लेकर दौड़े। कंबल दिए ताकि बॉडी को उठाया जा सके और एंबुलेंस में रखा जा सके। इसलिए एयरफोर्स की तरफ से इन्हें ये सामान मदद के तौर पर दिया जा रहा है।


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