Film review:टिपिकल bollywood फिल्म है tadap, screenplay में कसावट की थी जरुरत; music ने डाली जान
Film की शुरूआत होती है Uttarakhand के मसूरी शहर से। फिल्म के हीरो की एंट्री होती है जबरदस्त रैप के साथ, मार धाड़ से शुरु हुई tadap टिपिकल bollywood फिल्म लगती है। Hero सबको मारता रहता है, क्यों मारता है किसी को नहीं पता। लेकिन देख कर लगता है हीरो एक टूटा हुआ आशिक है। फिर होती है एंट्री हिरोइन रमीसा की और धीरे-धीरे कहानी का पता चलने लगती है।
Surprising character है रमीसा
Film को romantic बनाने के लिए बीच बीच में गाने हैं। Hero की आशिकी से पूरा शहर परेशान रहता है, इसमें बाप बेटे के रिश्ते को भी काफी अच्छी तरीके से इस्टैबिलिश किया है। इसका फर्स्ट हाफ थोड़ा बोरिंग है। पर इसमें बीच बीच में इशाना के पिता यानी सौरभ शुक्ला के dialogue आपको गुदगुदा सकते हैं। फिल्म का सस्पेंस और कहानी की पूरी जिम्मेदारी सेकंड हाफ पर टिकी हुई है। क्योंकि सेकेंड हाफ से पता चलता है कि Hero आखिर क्यों आशिक बना। वहीं इस फिल्म का surprising character है रमीसा यानी तारा सुतारिया।
Music ने डाली जान
अब बात acting की करें तो debut करने वाले आहान शेट्टी action scene में काफी aggressive लगते हैं, और कैक्टर को निभाने की पूरी कोशिश करते हैं। वहीं तारा की बात करें तो इस फिल्म से उनके लिए ड्युल शेड कैरेक्टर का रास्ता खुल गया है। इसमें लॉल और गुठली जैसे साइड कैरेक्टर्स ने अपनी प्रजेंस बनाई है। प्रीतम के music ने film में जान डाली है।
Screenplay में कसावट की जरुरत
Director मिलन लुथ्रिया की अधिकतर फिल्मों के स्टार्स के नाम A नाम से शुरु होते रहें हैं और यही फैक्टर उनकी फिल्म को hit बनाने में काफी अहम साबित हुआ है। तो इस film मे भी मिलन का ये फैक्टर चल पड़ा है। लेकिन tadap की कहानी और screenplay में थोड़ी और कसावट की जरुरत थी, तो इस लिहाज से हमारी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार देते हैं। और भी ऐसे ही film रिव्यू के लिए जुड़े रहें