Monday Mega Story:कहानी Punjab की जहां 56 साल से हिंदू CM नहीं; एक ही ऐसा सूबा जिसने भारत-पाक दोनों को PM और प्रेसिडेंट दिए
Punjab में चुनावी बिगुल बज चुका है। राज्य की 117 सीटों पर 14 फरवरी को वोटिंग होगी और 10 मार्च को नतीजे आएंगे। आजादी के बाद ज्यादातर वक्त कांग्रेस का गढ़ रहे पंजाब में इस बार स्थितियां बदली हुई हैं। शिरोमणि अकाली दल का BJP से ब्रेकअप, आम आदमी पार्टी की एंट्री और किसान संगठनों के चुनावी मैदान में उतरने के बाद मुकाबला पंचकोणीय हो गया है।
आज की Monday Mega Story में हम Punjab के ऐसे चुनावी किस्से सुना रहे हैं, जो इस राज्य को सबसे अलग और अनोखा बनाते हैं...
पंजाब से हुआ राष्ट्रपति शासन का श्री गणेश यहां पहली बार 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 तक राष्ट्रपति शासन रहा । किस्सा : कांग्रेस के गोपी चंद भार्गव पंजाब के पहले CM थे । अंदरूनी फूट की वजह से उन्हें पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा । किसी भी दल के पास बहुमत न होने की स्थिति में देश में पहली बार संविधान के आर्टिकल 356 का इस्तेमाल हुआ । एक बार में सबसे लंबा और सबसे छोटा राष्ट्रपति शासन
• जम्मू कश्मीर 2,270 दिन ( 18 जुलाई 1990 से 9 अक्टूबर 1996 ) • पंजाब ● • कर्नाटक • बिहार 1.745 दिन ( 11 मई 1987 से 25 फरवरी 1992 ) 8 दिन ( 10-17 अक्टूबर 1990 ) 8 दिन ( 16 से 29 दिसंबर 1976 ) पंजाब में अब तक कुल 3,510 दिन ( 8 बार ) राष्ट्रपति शासन रहा ।
पंजाब से मिली आचार संहिता पर क्लैरिटी आचार संहिता लागू होने की डेट पर लंबी बहस के X x SC किस्सा : 22 दिसंबर 1996 की बात है । पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कई वेलफेयर स्कीम की घोषणा की । 1 जनवरी 1997 से उन्हें लागू किया जाना था । इसके 2 दिन पहले यानी 30 दिसंबर 1996 को इलेक्शन कमीशन ने चुनाव की घोषणा कर दी । विपक्षी पार्टियों ने आचार संहिता का हवाला देकर हल्ला मचा दिया । जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा । ' आचार संहिता लागू करने का फैसला पूरी बाद पंजाब और हरियाणा तरह चुनाव आयोग पर
आचार संहिता लागू होने की डेट पर लंबी बहस के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया । ‘ आचार संहिता लागू करने का फैसला पूरी तरह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वो कब से घोषणा करता है । ' इसके बाद चुनाव आयोग इलेक्शन की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू होने की तारीखों का भी ऐलान कर देता है ।
1966 के बाद से नहीं बना कोई गैर सिख सीएम पंजाब की 58 % आबादी सिख है । किस्सा : 1966 में भारत की संसद ने पंजाब पुनर्गठन एक्ट पारित किया । जिससे पंजाब से अलग होकर हरियाणा एक नया राज्य बन गया । कुछ क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में भी स्थानांतरित कर दिया गया था । उसके बाद से पिछले 56 सालों में कोई गैर सिख शख्स पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बन सका ।
1966 से पहले पंजाब की कुर्सी पर रहे तीन हिंदू मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव भीमसेन सच्चर CSDS ने 2017 में एक सर्वे किया था , जिसमें पंजाब के 53 % लोगों ने कहा • राम किशन " जरूरी नहीं कि उनका CM सिख ही हो । "
दिए PM और प्रेसिडेंट ज्ञानी जैल सिंह ( राष्ट्रपति ) • 1982 से 1987 तक भारत के इकलौते सिख राष्ट्रपति । • इनके टेन्योर में ऑपरेशन ब्लू स्टार , इंदिरा गांधी की हत्या और सिख विरोधी दंगे हुए । मनमोहन सिंह ( प्रधानमंत्री ) • 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल में भारत के प्रधानमंत्री रहे । मोहम्मद जिया उल हक ( राष्ट्रपति ) • 1978 से 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे । किस्सा : पंजाब इकलौता ऐसा राज्य है , जहां के लोग भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के शीर्ष राजनीतिक पदों पर बैठे । इनका जन्म गाह में हुआ था , जो अब पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा है । • इनका जन्म 1924 में जालंधर में हुआ था और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे । इमरान खान ( प्रधानमंत्री ) • पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान का ताल्लुक जालंधर से है । • उनका परिवार विभाजन के दौरान जालंधर से लाहौर चला गया था ।
पंजाब में सबसे ज्यादा SC लेकिन जाटों का दबदबा चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं । Aida Ba किस्सा : पंजाब ऐसा राज्य है , जहां सबसे ज्यादा दलित आबादी रहती है । इसके बावजूद यहां की राजनीति पर जाटों का कब्जा है , जिनकी आबादी महज 20 % है । 1972-1977 के दौरान ज्ञानी जैल सिंह आखिरी गैर - जाट सिख मुख्यमंत्री थे ।
भारत के राज्यों में SC आबादी • पंजाब 32 % • हिमाचल 25 % ● • पश्चिम बंगाल 23 % • उत्तर प्रदेश • हरियाणा 20.7 % 20.2 % Source : Census 2011
पंजाब में इस बार पंचकोणीय मुकाबला किस्सा : पंजाब में ज्यादातर चुनाव दो मोर्चे पर होते रहे हैं- पहला कांग्रेस और दूसरा बीजेपी - शिरोमणि अकाली गठबंधन । पहली बार राज्य में पांच कोणीय मुकाबला होने जा रहा है । इस बार शिरोमणि अकाली दल अलग चुनाव लड़ रही है , आम आदमी पार्टी और किसानों का संगठन संयुक्त समाज मोर्चा भी मैदान में है । 16 राज्य में पांच मोर्चे पर चुनावी मुकाबला
1. कांग्रेस Vs 2. बीजेपी + पीएलसी + शिरोमणि अकाली दल ( संयुक्त ) Vs 3. आम आदमी पार्टी Vs 4. शिरोमणि अकाली दल + बीएसपी Vs 5. संयुक्त समाज मोर्चा
लिंगानुपात 895 माझा | 935 दोआबा ॐ हरियाणा अलग होने के बाद 18 में से 15 मुख्यमंत्री मालवा क्षेत्र से बने , फिर भी शिक्षा और लिंगानुपात में दोआबा - माझा से पीछे 886 मालवा साक्षरता दर 76 % माझा 81 % दोआबा 72 % मालवा
ज्यादा वक्त तक कांग्रेस का गढ़ रहा है पंजाब किस्सा : आजादी के बाद से ही पंजाब ज्यादातर कांग्रेस का गढ़ रहा है । 2017 चुनाव में भी कांग्रेस ने यहां 66 % वोट हासिल किए थे । अब तक राज्य में 22 मुख्यमंत्री बने जिनमें 14 कांग्रेस पार्टी के हैं ।
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