RAJASTHAN का सबसे बड़ा सैक्स स्कैंडल:रसूखदार घरों की बेटियों के nude फोटो मार्केट में आए, एक गलती की वजह से नहीं मिल पा रहा इंसाफ
RAJASTHAN
साल 1992, अप्रैल-मई का महीना। अजमेर के एक नामी गर्ल्स कॉलेज की हाई प्रोफाइल स्टूडेंट्स की न्यूड तस्वीरें अचानक से शहर में सर्कुलेट होनी शुरू हुईं। इसके बाद एक-दो नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा छात्राओं की तस्वीरें वायरल हो गईं। राजस्थान में ब्लैकमेलिंग का ऐसा सेक्स स्कैंडल हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। इस ट्रैप की शिकार लड़कियां भी मामूली नहीं, रसूखदार घरों से थीं।
अपराधियों की भी बड़ी सियासी पहुंच थी। फिर भी स्कैंडल के 10 दोषियों को कानून ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। हालांकि, फाइनल जजमेंट अभी भी बाकी है। पुलिस की एक कमी ने इस केस को अंजाम तक पहुंचाने की राह लंबी कर दी है। आज भी इस मामले में 6 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट में बहस जारी है।
इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए देश के सबसे चर्चित और बड़े सेक्स स्कैंडल की इनसाइड स्टोरी...।
लड़के से कुकर्म के बाद शुरू हुआ ट्रैप 100 से ज्यादा कॉलेज गर्ल्स हुईं शिकार दैनिक भास्कर एक साल तक अलग - अलग लड़कियों से होती रही थी जबरदस्ती कॉलेज के बाहर फिएट गाड़ी हमेशा खड़ी रहती थी , जो छात्राओं को फॉर्म तक ले जाती थी आरोपियों ने एक बिजनेसमैन के बेटे से दोस्ती की । उसके साथ कुकर्म किया और तस्वीरें उतारी । बिजनेसमैन के बेटे को ब्लैकमेल कर उसकी गर्लफ्रेंड को पोल्ट्री फॉर्म पर लेकर आए । उसका रेप किया , रील कैमरे से उसकी न्यूड तस्वीरें उतारीं । उसे सहेलियों को वहां लाने के लिए फोर्स किया । हर लड़की का रेप किया , दोस्तों को भी ऑफर किया और न्यूड फोटोशूट किया । फोटो से ब्लैकमेल कर अलग - अलग ठिकानों पर लड़कियों को बुलाया जाने लगा ।
बंटने लगी न्यूड फोटो और जेरॉक्स कॉपीज आरोपियों ने फोटो रील डेवलप होने के लिए जिस लैब में दी , वहीं से न्यूड तस्वीरें लीक हो गईं न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई । उन्हीं के माध्यम से बाजार में तस्वीरें आ गईं । मास्टर प्रिंट तो कुछ ही लोगों के पास थे , लेकिन इनकी जेरॉक्स कॉपियां शहर में सर्कुलेट होने लगीं । ये तस्वीरें जिसके भी हाथ लगीं , उसने भी लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । इसी बीच एक - एक कर कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया ।
ऐसे खुली गैंगरेप की कहानी एक के बाद एक सुसाइड से उठा पर्दा कुछ छात्राएं परेशान होकर पुलिस तक भी पहुंचीं पुलिस थाना अलवर गेट अजमेर शहर के बड़े बड़े अफसरों की बेटियों को बनाया था शिकार अजमेर शहर यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट , वाइस प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेट्री के साथ - साथ कुछ रईसजादों के नाम सामने आए । केस के मास्टरमाइंड थे अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती , नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती । रसूखदारों के नाम आते ही पुलिस मामले को दबाने में लग गई । एक न्यूजपेपर ने इन तस्वीरों के साथ स्टोरी पब्लिश कर दी । पूरे शहर में हंगामा मच गया । बात बिगड़ती देख राजस्थान की तत्कालीन भैरोसिंह शेखावत सरकार ने जांच CID - CB को दे दी ।
3 मास्टरमाइंड सहित 12 के खिलाफ चार्जशीट कैलाश सोनी हरीश दोलानी इशरत अली पुरुषोत्तम उर्फ बबली शम्शू उर्फ माराडोना मोइजुल्लाह उर्फ़ पूतन इलाहबादी महेश लोदानी जऊर चिश्ती फारुख चिश्ती परवेज अंसारी अनवर चिश्ती नसीम उर्फ टारजन
शुरुआत में 18 आरोपियों की जांच दैनिक भास्कर अय्याशी का बंगला शुरुआत में 18 आरोपियों हरीश दोलानी ( कलर लैब का मैनेजर ) , फारुख चिश्ती ( तत्कालीन यूथ कांग्रेस प्रेसीडेंट ) , नफीस चिश्ती ( तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसीडेंट ) , अनवर चिश्ती ( तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेट्री ) , पुरुषोत्तम उर्फ बबली ( लैब डेवलपर ) , इकबाल भाटी , कैलाश सोनी , सलीम चिश्ती , सोहैल गनी , जमीर हुसैन , अल्मास महाराज , इशरत अली , मोइजुल्लाह उर्फ़ पूतन इलाहाबादी , परवेज अंसारी , नसीम उर्फ टारजन , महेश लोदानी ( कलर लैब का मालिक ) , शम्सू उर्फ माराडोना ( ड्राइवर ) , जऊर चिश्ती ( लोकल पॉलिटिशियन ) के खिलाफ जांच बैठी ।
कोई मेंटल हुआ , तो किसी ने सुसाइड किया इस केस के एक आरोपी पुरुषोत्तम उर्फ बबली ने जमानत पर बाहर आते ही सुसाइड कर लिया । नसीम एक अन्य आरोपी नसीम उर्फ टारजन अंतरिम जमानत मिलने के बाद फरार हो गया । बाद में 2010 में पुलिस के हत्थे चढ़ा मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती को ' सिजोफ्रेनिया ' नाम की बीमारी के बाद मानसिक रोगी घोषित कर दिया गया । फारुख चिश्ती को भी एक फरवरी 2007 को सजा सुनाई गई थी । फारुख चिश्ती एक आरोपी पर धारा -377 के तहत अलग प्रवृत्ति का आरोप था । इसके चलते वह भी इस केस से बच गया और सुनवाई अलग से चली ।
स्कैंडल की शिकार 30 लड़कियों ने की हिम्मत कई ने बयान बदल दिए 16 18 12 पीड़िताएं हैं कोर्ट । कोर्ट की टिप्पणी 1 में ऑन रिकॉर्ड मई 1998 में आया केस का पहला जजमेंट में से 8 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई । जिन पीडिताओं को कोर्ट में बतौर साक्ष्य पेश किया गया है , वो अपने पारिवारिक और सामाजिक कारणों से मुकर गई हैं । इसलिए बयान देना नहीं चाहती हैं । इस केस की गंभीरता को देखते हुए जिनके भी बयान दर्ज हुए हैं , उसी को सभी पीड़िताओं का बयान माना गया है । कोर्ट की टिप्पणी 2 ये समझ में नहीं आता है कि तत्कालीन DIG ओमेंद्र भारद्वाज ने जांच से पहले ही मीडिया में ये बयान कैसे दे दिया कि इन लड़कियों का चरित्र उचित नहीं है । राज्य सरकार इसकी जांच कराए । राजस्थान हाईकोर्ट ने दोषियों की उम्रकैद की सजा को 10 साल की कैद में बदल दिया ।
कोई बर्के में पकड़ा गया तो कोई विदेश भागा नफीस को लगभग 11 साल बाद 2003 में पकड़ा गया । बेल पर छूट कर आ गया । सोहेल गनी चिश्ती ने लगभग 26 साल बाद15 दिसंबर 2018 को सरेंडर कर दिया । वो भी बेल पर छूट कर आ गया । इकबाल भाटी को लगभग 13 साल बाद 2005 में पकड़ा गया । बेल पर छूट कर आ गया । सलीम चिश्ती को लगभग 20 साल बाद 2012 में बुर्के में पकड़ा । बेल पर छूट कर आ गया । नसीम उर्फ टारजन को लगभग 18 साल बाद 2010 में पकड़ा गया । जमीर हुसैन को एंटीसिपेटरी बेल मिल गई । इस मामले में एक आरोपी अल्मास महाराज आज तक फरार है । उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है ।