डायरेक्टर ओम राउत ने बताया-PRABHAS एक प्योर सोल है, उनकी आंखों में प्रभु RAM की आंखें दिखीं; इसलिए उन्हें 'aadipuroosh' की offer
'Tanhaji' fame director Om Raut अगले साल की शुरूआत में vaalmeeki raamaayan की स्क्रीन एडेप्टेशन 'aadipuroosh' लेकर आ रहे हैं। 'बाहुबली' फेम PRABHAS इसमें श्रीराम और कृति सेनन सीता के किरदार में हैं। फिल्म इन दिनों पोस्ट प्रोडक्शन स्टेज में हैं। अब दैनिक भास्कर से खास बातचीत में ओम राउत ने फिल्म की मेकिंग, जर्नी और अपने विजन से जुड़ी खास बातें शेयर की हैं।
आप के नाम में ओम है, जो बार-बार हिस्टोरिकल और माइथोलॉजिकल प्रोजेक्ट बना रहें हैं?
नाम के बारे में तो मेरे माता पिता जाहिर कर सकेंगे। सवाल जहां तक 'aadipuroosh' का है तो मैं इसे माइथोलॉजिकल नहीं हिस्टॉरिकल जोन की कहना चाहूंगा।
माइथो इसलिए कहा गया कि कहानी सात हजार साल पहले में सेट है? बहरहाल, यह कितना 'रामायण' ही है?
हम प्रभु RAM के बारे में विचार करें तो उनके अनेक पहलू हैं। उन सबको और मनुष्य के सारे उत्तम गुणों को मिलाएं तो वो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के तौर पर जाने जाते हैं। हर इंसान उन्हें अलग-अलग पहलू के हिसाब से देखेगा। मैं जो उन्हें समझ पाया या समझना चाहता हूं, वो है पराक्रमी पुरूषोत्तम राम। मैं 'aadipuroosh' में श्रीराम के पराक्रम को दिखाना चाहता हूं। जीवन की सभी चुनौतियों को पारकर जो इंसान सबसे पहले व सबसे ऊपर वो आदिपुरूष राम थे। तभी हमारा टाइटल आदिपुरूष है। हमारी फिल्म मूलरूप से वाल्मिकी रामायण की स्क्रीन एडेप्टेशन ही है।
श्रीराम के रोल के लिए PRABHAS ही क्यों जहन में आए?
आंखें हृदय का प्रतिबिंब माना जाता है। उनकी आंखों में एक प्योर सोल नजर आता है। उनकी आंखों में एक करुणा है। उनकी आंखों में मुझे प्रभु राम की आंखें नजर आईं। लिहाजा जब मैंने 'aadipuroosh' विचार भी किया था तो तय था कि यह तो प्रभास के साथ ही की जाएगी। अच्छा मुझे शक्तियों पर इतना ज्यादा भरोसा है कि पता था कि PRABHAS मेरे साथ वो फिल्म जरूर करेंगे। 'आदिपुरूष' मेरे लिए फिल्म नहीं, धर्म और कर्तव्य है। यह प्रभु की ही कृपा है, जो उन्होंने इस कहानी पर फिल्म बनाने के लिए मुझे चुना।
राम कथा कहानी नहीं महागाथा है। तब का जहान और तब के चमत्कार को विजुअलाइज करने के लिए संभावनाओं का पूरा संसार है। उन्हें क्रिएट करने के चलते हम इसे हेवी VFX वाली फिल्म कहें? 80 फीसदी वीएफएक्स लोडेड फिल्म है?
VFX के परसेंटेज पर तो मैं अभी बात नहीं करूंगा। यह हाफ बिलियन लोगों के इमोशन से लोडेड फिल्म है। मेरे ख्याल से विजुअल इफेक्ट्स बस एक सहायक के तौर पर फिल्म में है। वरना राम कथा तो सदियों से हमारे गांव, खेड़ों और अन्य इलाकों में बचपन से सुनाई ही जाती रही है। उनके पास तो VFX नहीं होते। रामकथा हम हर साल दशहरा, दीपावली में 9 दिन दिखाते थे। पूरा गांव जमा हो जाता था। हम इकट्ठे इसलिए होते थे कि राम से हमारी भावना जुड़ी हुई है। बचपन में मैं अपने परिजनों के साथ रामायण देखता था। उसका जो गहरा असर मुझ पर रहा, वह आज तक मुझ पर है। ठीक उस प्रभाव की जद में मैं
बाकी लोगों खासकर आज की जेनरेशन को भी लाना चाहता हूं।
नई जनरेशन को कैसे समझाएंगे, लैंग्वेज या डायलेक्ट क्या रखा है Film का?
इसका जवाब मैं फिल्म की रिलीज के वक्त ही देना चाहूंगा। हम जब इसे लिख रहे थे तो यह सवाल हमारे जहन में भी था। हमने पूरा ख्याल रखा है कि आज की जनरेशन भी इस महागाथा को समझ सके। लिहाजा हमने पुरानी भाषा तो नहीं यूज की है। इसे बनाने के पीछे मकसद भी यही था कि यह ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक पहुंच सके। इसकी खातिर संवादों के लिए हमने मनोज मुंतशिर को हायर किया है।
How much post production work is left?
बड़ी फिल्म है यह। इसमें वक्त लगेगा। नए साल में जरूर हम लोगों को हम फिल्म के दर्शन करवाएंगे। उसके बाद भी हम नहीं रूकेंगे। हम इंटरनैशनल ऑडिएंस के लिए एक अलग वर्जन लाएंगे। परदेस में रहने वाले अपने देशवासी और गैर भारतीयों के लिए भी।
तब का जहान क्रिएट करने के लिए कितनी VFX कंपनियां हैं?
आठ से दस कंपनियां VFX कर रही हैं। सब की सब इंडियन ही हैं। फिल्म को पूरी जिम्मेदारी के साथ हमने बनाया है। मेरे सारे कलाकार सारे वर्कशॉप में आते रहे। PRABHAS, कृति, सैफ सबने काफी रिहर्सल की है। हरेक के साथ उनके किरदार को लेकर काफी चर्चा की। थोड़ा भक्ति भाव लाने का प्रयास करता रहा। काफी रीडिंग की हमने, सौभाग्य से सबने काफी वक्त निकाल सौ फीसदी डेडिकेशन के साथ काम किया। टैलेंट बहुतों के पास होता है, मगर मेहनत का माद्दा कम में होता है। हमारे स्टार ने छोटे से छोटे सीन में भी बहुत खून पसीना लगाया है।