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Navratri 2021: नवरात्रि शुरू, जानिए घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और ...


शैलपुत्री का मंत्र क्या है?

मां को प्रसाद अर्पित करें. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: ह्रीं शिवायै नम:. वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ .


शैलपुत्री मां की पूजा कैसे करें?

Navratri 2021: नवरात्रि शुरू, जानिए घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और ...
Navratri 2021: नवरात्रि शुरू, जानिए घटस्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और ...


यह है मां शैलपुत्री की पूजा विधि:

 मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। इसके बाद हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। और मंत्र बोलें।


नवरात्रि 2021 में कब है?

गुरु, 7 अक्तू॰ 2021 – शुक्र, 15 अक्तू॰ 2021

NAVRATRI 2021/तारीख


नवरात्रि के प्रथम दिन किसकी पूजा होती है?


नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री (Mata Shailputri) स्वरूप को समर्पित है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है।


पहला नवरात्र कौन सी देवी का होता है?


दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।



नवरात्र में कौन सा पाठ करें?


नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा भी सालभर भक्तजन सप्तशती का पाठ कर देवी मां को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। वहीं जानकारों के अनुसार सप्ताह के हर दिन सप्तशती पाठ का अपना अलग महत्व है और वार के अनुसार इसका पाठ विभिन्न फल देने वाला कहा गया है।


दुर्गा सप्तशती कौन सा पाठ करना चाहिए?


साथ ही नाम यश और सम्मान की प्राप्ति होती है. अगर आप सप्तशती का पाठ न कर पायें तो "देवी कवच" का पाठ करें या आप निम्न मन्त्र का नियमित रूप से जप करें. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्. त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति.


नवरात्रि में क्या क्या सामान लगता है?


मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल ...


शैलपुत्री माता को क्या भोग लगता है?


चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2021) के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन माता को गाय के दूध से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है. पिपरमिंट युक्त मीठा मसाला पान, अनार और गुड़ से बने पकवान भी देवी को अर्पण किए जाते हैं.25 मार्च 2021


रोज घर में पूजा कैसे करें?


पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर करनी चाहिए। यदि संभव हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में पूजा अवश्य करें।

खंडित दीपक : पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ..


पूजा के दौरान इन बातों का रखेंगे ख्याल, नहीं तो पास आ जाएगी गरीबी!


कुछ खास नियमों का पूजा के दौरान पालन किया जाना अतिआवश्यक माना जाता है। अन्यथा माना जाता है कि पूजन का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाता है। 


भोपाल। काफी पुराने समय से सुखी और समृद्धिशाली जीवन के लिए देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा चली आ रही है। आज भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को निभाते हैं। पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, लेकिन क्या? आप जानते हैं कि पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए।


भगवान की पूजा का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। ऐसे में आज-कल लगभग हर घर में रोजाना पूजा की जाती है। इसके चलते भगवान के प्रति लोगों का अस्था रोजाना बढ़ती जा रही है। 


वहीं आस्था के चलते मंदिर, घरों में भगवान का श्रृंगार, भोग, चढ़ावा आदि का बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है। लेकिन कई बार पूजा करते समय हमसे अनजाने में ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जो कि अशुभ साबित हो सकती है। 



पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान आपकी पूजा से जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं। वहीं आपकी एक गलती उन्हें क्रोधित भी कर सकती है। जिसका दुष्प्रभाव आपको काफी परेशानी में डाल सकता है। और तो और कई बार तो यह गलती आपको गरीबी और हर काम में असफलता की ओर ले जाती है। 



पंडित शर्मा के अनुसार यदि आपको भी ऐसी परेशानियों से बचना है तो भगवान की पूजा करते समय इन 4 गलतियों को कभी न करें।


1. खंडित दीपक :

पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दीपक टूटा न हो। इससे आपकी पूजा खंडित हो जाएंगी। जिसके कारण आपको शुभ फल के बदले अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।


2. सुखे फूल :

कभी भी भगवान को सुखे या बासी फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। कई बार होता है कि हम भगवान को फूल या हार चढ़ाते है, लेकिन उसको उतारना भूल जाते है। जो कि आपके लिए अशुभ साबित हो सकता है। इसलिए शाम होने से पहले फूलों-हार को भगवान से हटा लेना चाहिए।

3. खंडित मूर्तियां:

कभी भी घर या मंदिर में खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। अगर घर में कोई खंडित या टूटी मूर्ति हो तो उसे तुरंत ही नदी में प्रवाहित कर दें, या फिर पीपल के नीचे जाकर रख दें।

4. तुलसी की सुखी पत्तियां :

भगवान विष्णु और कृष्ण को तुलसी दल चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है। इस प्रसाद के साथ चढ़ाना चाहिए। कई बार होता है कि आप ऐसे ही तुलसी चढ़ा देते है और उसे उठाना भूल जाते है। जिसके कारण वह सूख जाती है। जो कि बहुत ही अशुभ माना जाता है। इसलिए शाम होने से पहले या प्रसाद चढ़ाने के 2-3 घंटे बाद ही उसे उठा लें। 


ये करें-

1. गणेश, विष्णु, दुर्गा, शिव और सूर्य ये आदिपंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।


2. किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोडऩे का संकल्प लेना चाहिए। दोषों को जल्दी से जल्दी छोडऩे पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी।


3. मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को पांच दिनों तक जल छिडक़ कर पुन: चढ़ा सकते हैं।


4. शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिडक़ कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।


नवरात्रों में पूजा कैसे करें?


तत्पश्चात मूर्तिका आसन, पाद्य, अर्ध, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें।  इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तुति करें। पाठ स्तुति करने के बाद दुर्गाजी की आरती करके प्रसाद वितरित करें। * इसके बाद कन्या भोजन कराएं।


आज नवरात्रि में कौन सी माता का दिन है?


आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप यानी मां दुर्गा के शैलपुत्री (Mata Shailputri)की पूजा की जाती है। 07oct 2021


अकटबर म नवरातरि कब ह 2021?


Navratri 2021: आज से प्रारंभ हो रहे हैं शारदीय नवरात्र, जानिए कलश स्थापना के लाभ और शुभ मुहूर्त शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर, गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घट स्थापना का महत्व है


दरगा पजा कलश सथापना कब ह 2021?


Navratri 2021 Muhurat: इस वर्ष 2021 में शारदीय नवरात्रि आज 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग में प्रारम्भ हो रही है। यह नवरात्रि प्रकृति की मौलिक शक्ति की आराधना के साथ जन-जन में शक्ति एवं ऊर्जा का संचार करने वाला पवित्र पक्ष है। 07 अक्टूबर को दिन में 03 बजकर 28 मिनट तक आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि रहेगी। अतः शाम को द्वितीया का चन्द्र-दर्शन तुला राशि में होगा। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि में होने के कारण वृष एवं तुला राशि वालों के लिए अति फलदायक रहेगा।


दुर्गा जी का हवन कैसे करें?


महानवमी 14 अक्टूबर गुरुवार को होगी। नवरात्रि समाप्ति से सम्बंधित हवन-पूजन, कन्या पूजन 14 अक्टूबर गुरुवार को रात्रि 9:52 बजे तक नवमी पर्यंत किया जायेगा। नवरात्रि व्रत का पारण 15 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातःकाल होगा।


नवरात्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त


चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग नवरात्रि आरंभ के कलश-स्थापन हेतु वर्जित कहा गया है। अतः 07 अक्टूबर को कलश-स्थापन के लिए अभिजित मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र में सर्वोत्तम माना गया है। इस मुहूर्त में उपस्थित अनेक दोषों का स्वतः नाश हो जाता है।


यह अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दिन में ही 12:23 बजे तक है। इसी समय के अंदर कलश-स्थापन शुभ होगा। इसके अतिरिक्त यदि कोई प्रातःकाल कलश स्थापना करना चाहे तो प्रातः कलश-स्थापन मुहूर्त 6:54 बजे से 9:14 बजे के बीच तुला लग्न में कर सकता है।


श्री दुर्गा सप्तशती में स्वयं दुर्गा भगवती ने कहा है- “जो शरद काल की नवरात्रि में मेरी पूजा-आराधना तथा मेरे तीनों चरित्र का श्रद्धा पूर्वक पाठ करता है एवं नवरात्रि पर्यंत व्रत रहते हुए तप करता है, वह समस्त बाधाओं से मुक्त होकर धन-धान्य से समपन्न हो यश का भागीदार बन जाता है, इसमें किंचित संशय नहीं है।



गूगल आज कौन सा पूजा है?


अत: बुधवार के दिन गणेशजी का पूजन-अर्चना करने से अनं‍‍त सुख और अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन बुध ग्रह का पूजन करना भी बहुत ही लाभदायी माना गया है. इसी के साथ ही आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.


पहला नौरता कौन सी तारीख का है?


(Navratri 2021) हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में 4 बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि मुख्य रूप से मनाई जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि  (Navratri 2021 Date)07 Oct से आरम्भ हो रही है और 14 Oct को समाप्त होगी


नवरात्रि का नौवां दिन कौन सी माता का होता है?


नवरात्रि का नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री की इस आसान विधि से करें पूजा, जानें माता रानी का भोग, शुभ रंग और पूजा मंत्र चैत्र नवरात्रि 2021 का आज आखिरी दिन है। नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है।


1- सबसे पहले, गणेश पूजन, कलश पूजन,,नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन करें । श्रीदुर्गा सप्तशती ग्रंथ को शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें। 2- माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिये 4 बार आचमन करें। श्री दुर्गा सप्तशति के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक के पाठ से पहले शापोद्धार करना ज़रूरी है।

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