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mulaayam की बहू BJP में क्यों आई; inside story:अपर्णा मजबूर थीं



mulaayam की बहू BJP में क्यों आई; inside story:अपर्णा मजबूर थीं, क्योंकि उनके पति और अखिलेश का 16 साल पहले एक समझौता हुआ था


लखनऊ
Breaking news
mulaayam सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव अब BJP में शामिल हो चुकी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले Yadav परिवार की बहू का भाजपा में शामिल होना अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अपर्णा के भाजपा में जाने का सियासी लिहाज से भले ही सपा पर कोई बड़ा असर ना हो, लेकिन परिवार में इस टूट ने छवि की लड़ाई में अखिलेश को पीछे धकेल दिया है। हालांकि, अखिलेश ने अपर्णा के bhaajapa में शामिल होने पर उन्हें बधाई दी। कहा कि नेता जी ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की थी।


कुछ दिनों पहले BJP सरकार के मंत्रियों और विधायकों को तोड़कर अखिलेश ने जो संदेश देने की कोशिश की थी, अब उससे बड़ा संदेश भाजपा ने Yadav परिवार को तोड़ कर दे दिया है।


अपर्णा के bhaajapa में शामिल होने के बाद एक बार फिर परिवार की लड़ाई घर की दहलीज पार कर बाहर आ गई है। अखिलेश सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों जिस तरह परिवार में कलह मची और परिवार बिखरा उसका असर चुनावी नतीजों में दिखाई दिया था। एक बार फिर 2022 विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम परिवार में टूट के बाद उस समझौते की चर्चा हो रही है, जो परिवार को एक रखने के लिए करीब 16-17 साल पहले हुआ था।


ये भी पढ़ें: मुलायम परिवार की बहू अपर्णा की बगावत, बीजेपी में शामिल होकर बोलीं- राष्ट्र आराधना करने निकली हूं

mulaayam की बहू BJP में क्यों आई; inside story:अपर्णा मजबूर थीं


भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ अपर्णा यादव।


mulaayam परिवार को एक साथ जोड़ने वाला समझौता
mulaayam सिंह Yadav की दूसरी पत्नी साधना यादव की परिवार में एंट्री के साथ ही परिवार में बगावत शुरू हो गई थी। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश अलख बताते हैं कि तब अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम से बगावत कर दी थी। अखिलेश बेहद नाराज रहने लगे थे और मुलायम की हर बात अनसुनी कर रहे थे।


पिता और पुत्र के बीच बढ़ती दूरियों को कम करने और परिवार को एक साथ लाने की जिम्मेदारी अमर सिंह ने उठाई थी। अमर सिंह ने न सिर्फ साधना यादव को परिवार में एंट्री दिलाई, बल्कि अखिलेश यादव को भी मनाया। इस दौरान परिवार को साथ रखने के लिए एक समझौता भी हुआ।

mulaayam परिवार में हुए समझौते की शर्त

पीएम मोदी के साथ अपर्णा और प्रतीक ने सेल्फी ली थी।-फाइल फोटो


उस समझौते के मुताबिक पिता की राजनीतिक विरासत के इकलौते वारिस अखिलेश यादव होंगे, जबकि साधना के बेटे प्रतीक यादव कभी भी राजनीति में नहीं आएंगे। इतना ही नहीं उस वक्त जो प्रॉपर्टी थी, उसे भी दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बांटा गया। परिवार के बेहद करीब रहे लोगों का दावा है कि पार्टी में उस वक्त यह भी तय हुआ था कि साधना यादव के परिवार का खर्चा समाजवादी पार्टी उठाएगी।

टूट गया परिवार के बीच का समझौता?
प्रतीक यादव लगातार कहते हैं कि वो कभी राजनीति में नही आएंगे। हालांकि, जब भी सवाल अपर्णा के सियासी भविष्य को लेकर होता, वह कहते कि इसका फैसला नेता जी, यानी मुलायम सिंह यादव और खुद अपर्णा कर सकती हैं। कहा जाता है कि एक पत्रकार की बेटी अपर्णा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा हमेशा से रही है। वह परिवार की दूसरी बहू डिंपल यादव की तरह पार्टी में आधिकार चाहती थीं।

अपर्णा की इसी जिद की वजह से मुलायम सिंह यादव ने 2017 में अपर्णा को पार्टी का टिकट दिलवाया था, लेकिन अपर्णा चुनाव हार गईं। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव नहीं चाहते थे कि वो चुनाव जीतें।


अखिलेश का टिकट से इनकार बना परिवार में टूट की वजह?

परिवार के करीबियों का मानना है कि इस बार अखिलेश ने फैसला कर लिया था कि ना तो अपर्णा को टिकट देंगे और ना ही कहीं जाने से रोकेंगे।-फाइल फोटो


खबर है कि अखिलेश यादव ने इस बार परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट ना देने का फैसला किया है। राजनीति में करियर बनाने के लिए बेताब अपर्णा के लिए यह फैसला बेहद परेशान करने वाला था। माना जा रहा है कि इसके बाद ही अपर्णा भाजपा के संपर्क में आईं और अब पार्टी में शामिल हो गई हैं। खबर यह भी है कि 2014 के बाद से ही अपर्णा यादव प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने लगी थीं।


2017 में योगी सरकार बनने के बाद भी अपर्णा ने कई बार CM योगी से मुलाकात की। इतना ही नहीं, उन्होंने कई बार ऐसे बयान भी दिए जिनसे अखिलेश यादव की फजीहत हुई। राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने वालों को अखिलेश ने चंदाजीवी कहा था, जबकि अपर्णा ने राम मंदिर के लिए 11 लाख रुपए का दान दिया था। परिवार के करीबियों का मानना है कि इस बार अखिलेश ने फैसला कर लिया था कि ना तो अपर्णा को टिकट देंगे और ना ही कहीं जाने से रोकेंगे।


अपर्णा Yadav के बाद शिवपाल यादव का क्या होगा?
Breaking news अपर्णा के साथ हमेशा खड़े दिखने वाले शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम क्या होगा? अब इसको लेकर भी चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि 2016 में चाचा-भतीजे के बीच हुए विवाद के दौरान अपर्णा, चाचा शिवपाल के साथ खड़ी रहीं। अपर्णा हमेशा कहती थीं कि वो वही करेंगी जो नेता जी और चाचा शिवपाल कहेंगे। खबर यह है कि अपर्णा अपनी महत्वाकांक्षा के चलते परिवार में अलग-थलग पड़ गई थीं। इस फैसले पर mulaayam और शिवपाल दोनों ने कुछ भी नहीं कहा। खबर है कि शिवपाल फिलहाल समाजवादी पार्टी के साथ ही हैं।

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